खरमास या मलमास क्या होता है? इस 1 माह में क्या करें क्या ना करें, जाने पूरी जानकारी

हिन्दू कैलेंडर और समय की धारणा को समझना थोड़ा कठिन है। इसमें सूर्य की गति के अनुसार सौरमास, चंद्र की गति के अनुसार चंद्रमास और नक्ष‍त्र की गति के अनुसार नक्षत्र मास होता है. सभी के अनुसार ही तीज-त्योहार नियुक्त किए गए हैं. मूलत: चंद्रमास को देखकर ही तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। अब यह समझते हैं कि यह अधिक मास, पुरुषोत्तम मास, खरमास और मलमास क्या होता है.

पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से लेकर मकर राशि में प्रारंभ करने तक के समय को खरमास माना जाता है. इस साल 16 दिसंबर दिन शुक्रवार खरमास शुरू हो रहा है. इस दिन सूर्य की धनु संक्रांति का क्षण सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर होगा. ऐसे में कहा जाता है कि काई भी मांगलिक कार्य खरमास शुरू होने से पहले कर लेना चाहिए.

खरमास समापन समय 2023 (Kharmas 2023 Start Date)

बताएं आपको कि 16 दिसंबर से खरमास शुरू होकर नए साल में 14 जनवरी दिन रविवार को रात 08 बजकर 57 मिनट पर मकर संक्रांति तक खरमास माना जाएगा. इसके बाद यानी 15 जनवरी से खरमास का समापन हो जाएगा. माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के बाद सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं.

मलमास क्या होता है?

सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है चंद्र-वर्ष इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है. सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है. इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है. फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को पुरुषोत्तम मास, मलमास या अधिमास कहते हैं.

मलमास

मलमास का महीना अशुभ माना जाता है. इस महीने में हर तरह के शुभ कार्य करने पर रोक होती है. इसे पुरुषोत्तम मास या अधिक मास भी कहा जाता है. अधिक मास तीन साल के बाद लग रहा है. पितृपक्ष खत्म होते ही मलमास का महीना आरंभ हो जाएगा.

इस बार मलमास 18 सितंबर से शुरू होगा. ये 16 अक्टूबर तक रहेगा. इसमें भगवान विष्णु की पूजा होती है. इसके खत्म होने के बाद 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे.

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मलमास में क्या करे

शास्त्रों के अनुसार, मलमास के दौरान श्रद्धालु व्रत- उपवास, पूजा-पाठ और कीर्तन-मनन करते है. इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण आदि पढ़ने-सुनने से लाभ होता है. जैसा कि मलमास के अधिपति भगवन विष्णु है, इस कारण पुरे समय विष्णु मंत्रो का जाप करना खास लाभकारी माना गया है.

मलमास में क्या ना करे

शास्त्रों में इस माह को मलिन मानते हैं। इस कारण से इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे नामकरण, विवाह और अन्य सामान्य संस्कार जैसे गृह प्रवेश, नए बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी आदि आमतौर पर करने से बचा जाता है.

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खरमास क्या होता है?

भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य हर एक राशि में पुरे एक महीने या 30 से 31 दिन के लिए रहता है. 12 महीनों में सूर्य ज्योतिष की 12 राशियों में प्रवेश करता है. 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो उस स्थिति को खरमास कहते हैं.

सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं. साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य के राशि में प्रवेश करने पर शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. खरमास में खर का अर्थ ‘दुष्ट’ होता है और मास का अर्थ महीना होता है. मान्यता है कि इस माह में मृत्यु आने पर व्यक्ति नरक जाता है.

खरमास

खरमास को सूर्य से संबंधित माना जाता है. 14 मार्च को सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक खरमास का समय रहेगा.

खरमास में क्या करे

खरमास के दिनों में सूर्य उपासना को काफी महत्‍वपूर्ण माना गया है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ नही हैं. इस समयकाल में दान-पुण्य का विशेष महत्व है.

इन दिनों में किए गए दान का कई गुना फल प्राप्‍त होता है. इसलिए खरमास के दौरान जितना संभव हो सके गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए.खरमास में क्या न करे

खरमास में क्या न करे

खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर पूरी तरह से रोक लग जाती है. इस दौरान विवाह आदि कार्य नहीं होते. किसी नए कार्य की शुरुआत भी करना वर्जित माना गया है.

इसके अलावा सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इन दिनों मे प्रारंभ किए गए काम का अच्छा फल प्राप्त नहीं होता.

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