Akshaya Tritiya 2024 : अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? अक्षय तृतीया में सोने के अलावा किन चीजों को खरीदना शुभ है जानें पूरी जानकारी

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?

अक्षय तृतीया का दिन भारतीय त्योहारों में खास महत्व है. अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है. यह सबसे भाग्यशाली दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन सभी आध्यात्मिक और भौतिक कार्य किए जाते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार यह त्यौहार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है.

अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ कार्य को प्रारंभ किया जा सकता है. अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य के लिए जाना जाता है. इस दिन का महत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सबसे अधिक माना जाता है. आइए ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्यों अक्षय तृतीया को मनाया जाता है और इस तिथि में ऐसा क्या है कि इस दिन किए गए हर काम का आपको शुभ फल मिलता है.

अक्षय तृतीया के शुभ दिन को लेकर यह भी मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आई थी. साथ ही अक्षय तृतीया को अन्न एवं रसोई की देवी मां अन्नपूर्णा का जन्म भी हुआ था. हिंदू धर्म में इस दिन के कई महत्व एवं इससे जुड़ी कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन किए गए शुभ एवं धार्मिक कार्यों के अक्षय फल मिलते हैं. अक्षय तृतीया के अलावा इस तिथि में विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को भगवान परशुराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.

अक्षय तृतीया के बारे में जानकारी

तिथि का नामअक्षय तृतीया
मान्यताशुभ एंव मंगल कार्य का शुभारंभ होना
उद्देश्यधर्म, पुण्य आदि करना
कब पड़ती है अक्षय तृतीयावैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि में
अक्षय तृतीया का महत्वब्रह्रा मुहूर्त में गंगा स्नान करना

अक्षय तृतीया के दिन हुए ये शुभ कार्य

माँ गंगा का अवतरण हुआ था.

सतयुग और त्रेतायुग का प्रारब्ध आज के दिन हुआ था.

प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं.

कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था.

आज ही के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.

द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था.

वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं.

महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था.

अक्षय तृतीया का क्या अर्थ है?

अक्षय तृतीया का अर्थ होता है “जो कभी खत्म ना हो” और इसीलिए ऐसा कहा जाता है, कि अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता. इस दिन होने वाले कार्य मनुष्य के जीवन को कभी न खत्म होने वाले शुभ फल प्रदान करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन मनुष्य जीतने भी पुण्य कर्म तथा दान करता है उसे, उसका शुभ फल अधिक मात्रा में मिलता है और शुभ फल का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता है.

अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदा जाता है सोना

अक्षय तृतीया के दिन किए गए काम अक्षय फल देते हैं इसलिए इस दिन शुभ काम किए जाते हैं. जैसे- सोना खरीदना, घर-गाड़ी खरीदना, कोई नया काम शुरू करना आदि. ताकि वे सुख-समृद्धि दें. पौराणिक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को ब्रह्म देव के पुत्र अक्षय कुमार की उत्पत्ति हुई थी.

इस तिथि को आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसका चार गुना फल अक्षय रहता है. अक्षय तृतीया का दिन धन लक्ष्मी को प्रसन्‍न करने का दिन होता है. सोना व आभूषण को माता लक्ष्मी का भौतिक स्वरूप मानते हैं माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन प्राप्त किया गया धन या खरीदा गया सोना हमेशा साथ रहता है. सोना-चांदी के अलावा अक्षय तृतीया के दिन जौ खरीदना भी बहुत शुभ होता है. साथ ही सोना खरीद कर धारण करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.

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अक्षय तृतीया की पूजन विधि

अक्षय तृतीया का दिन हिंदू धर्म में काफी शुभ दिन माना जाता है. अक्षय तृतीया का दिन खरीदारी के लिहाज से ही नहीं बल्कि आध्यत्मिक दृष्टिकोण से भी इस दिन का अधिक महत्त्व है. अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठाकर शीतल जल से स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. पूजन के दौरान उन्हें फल, मिठाई और सफेद फूल चढ़ाना चाहिए.

इसके बाद आपको भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का विधिवत जाप करना चाहिए. इस दौरान कुछ दान का संकल्प लेकर आप भगवान से अपनी इच्छा बता सकते हैं. गर्मी के मौसम में आने वाले आम तथा इमली को भगवान को चढ़ा कर पूरे वर्ष अच्छी फसल तथा वर्षा के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है.

कई जगह इस दिन मिट्टी से बने घड़े पानी भर कर उसमें केरी (कच्चा आम), इमली तथा गुड़ को पानी में मिला कर भगवान को चढ़ाया जाता है.

अक्षय तृतीया के दिन इस मंत्र से करें पूजन

अक्षय तृतीया के दिन हिंदू धर्म में उपवास रखने की परंपरा है. जो व्यक्ति इस दिन उपवास रखते हैं. उनको सूर्योदय से पहले स्नान कर के पीले वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराने के बाद पंचामृत से स्नान करना चाहिए इसके बाद पुनः गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए.

अब भगवान विष्णु की प्रतिमा पर तुलसी और पीले फूलों की माला को अर्पित करें. इसके बाद दीप और धूपबत्ती जलाकर पीले आसन पर बैठ जाएं और श्री विष्णुसहस्त्रनाम स्त्रोत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें. इस दिन धन प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के मंत्र – ‘ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्’ का जप करें.

अक्षय तृतीया के दिन का महत्त्व

यह दिन सभी शुभ कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभकार्य किए जाते हैं. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है. अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है.

इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है. इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता. यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है. इस दिन सच्चे मन से अपने अपराधों की क्षमा मांगने पर भगवान क्षमा करते हैं और अपनली कृपा से निहाल करते हैं. अत: इस दिन अपने भीतर के दुर्गुणों को भगवान के चरणों में अर्पित करके अपने सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.

FAQs

Q : अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?

अक्षय तृतीया का दिन भारतीय त्योहारों में खास महत्व है. इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है.

Q : अक्षय तृतीया का क्या अर्थ है?

अक्षय तृतीया का अर्थ होता है “जो कभी खत्म ना हो” और इसीलिए ऐसा कहा जाता है, कि अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता.

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