5G क्या है?
5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जेनरेशन है. यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक वैश्विक वायरलेस नेटवर्क है. 5G एक सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क है जिसे वायरलेस नेटवर्क की स्पीड और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए डेवलप किया गया है. 5G सेलुलर सेवा की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है. इसे 4G नेटवर्क का अगला वर्जन कहा जा सकता है.
अब तक की सेलुलर टेक्नोलॉजी कनेक्टिविटी पर फोकस किया करती थी लेकिन यह टेक्नोलॉजी एक कदम आगे बढ़ कर क्लाउड से क्लाइंट को सीधे कनेक्ट करेगा. 5G तेज नेटवर्क स्पीड बिना रुकावट एचडी सर्फिंग, बेहतरीन सेवा प्रदान करेगी. भारत सरकार ने 5G ट्रायल की अनुमति दे दी है और टेलीकॉम कंपनियों को जल्द ही इसके स्पेक्ट्रम उपलब्ध करवाया जायेगा.
5G नेटवर्क कैसे काम करता है?
5G पाँचवी पीढ़ी की वायरलेस मोबाइल टेक्नोलॉजी है. जो की 4G LTE का बड़ा और बेहतर रूप होगा और इसे अभी की तुलना में 30 से 40 गुना अधिक की स्पीड मिलेगी यानी यूजर गीगाबिट पर सेकंड की स्पीड से डाउनलोड कर सकेंगे.5G नेटवर्क की भी दूसरे सेलुलर नेटवर्क की तरह सेल साइट होती है.
5G उपकरण जैसे ऐन्टेना, ट्रांसमीटर और रिसीवर लगे होते है, यहाँ से डाटा को अलग-अलग सेक्टर्स में बांटा जाता है और एनकोडेड डाटा को रेडियो तरंगो द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है. सभी सेल साइट्स एक बैकबोन वायर या वायरलेस के द्वारा जुडी होती है.
4G नेटवर्क में बड़े high power cell tower जरुरत होती है signals को रेडिएट करने के लिए लॉन्ग डिस्टेन्सेस में वही 5G वायरलेस signals को ट्रांसमिट करने के लिए बहुत सरे small cell stations की जरुरत होती है जिन्हे छोटी-छोटी जगह जैसे की लाइट poles या बिल्डिंग roofs में लगाया जा सकता है.
5G नेटवर्क सेटअप होने से पहले पुरे नेटवर्क उपकरणों में बदलाव किये जाएंगे न सिर्फ providers द्वारा बल्कि हर इंटरनेट यूजर को भी 4G supported स्मार्ट फोन लेने होंगे. 5G नेटवर्क मिलीमीटर वेव टेक्नोलॉजी पर काम करेगी, इसके द्वारा 30 से 300Ghz frequency पर ट्रांसमिशन किया जा सकता है. मिलीमीटर waves पर ट्रांसमिशन करने से नेटवर्क की range काफी काम हो जाती है. ख़राब मौसम या सामने पड़ने वाली बिल्डिंग से सिग्नल टूटने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में हर छोटी जगह और कम distance पर स्टेशन बनाये जाएंगे जिससे सिग्नल टूटे ना और कनेक्टिविटी बनी रहे.
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