आज हम आपको दुनिया के सात अजूबे Seven Wonders of the World in Hindi कौन-कौन से है इसके बारे में बताने वाले है. आप सभी ने सात अजूबे के बारे में कई बार सुना होगा पर क्या आप यह जानते है की आखिर सात अजूबे किसे कहा जाता है और क्यों. विश्व के सात अजूबे को चुनने की पहल सबसे पहले 1999 में शुरू की गई थी. जिसकी शुरुआत सबसे पहले स्विट्ज़रलैंड से की गई थी. सात अजूबो का चयन करने के लिए एक फाउंडेशन की स्थापना की गई थी. जिसने पूरे विश्व की 200 धरोहरों की सूची तैयार की थी. इस सूची के माध्यम से उन सात अजूबो का चयन करने के लिए वोटिंग कराई गई थी जो इंटरनेट और टेलीफोन के द्वारा संपन्न की गई थी.
दुनिया के सात अजूबे कैसे चुने गए
आज हम जिन धरोहरों को दुनिया के सात अजूबो के नाम से जानते है उन्हें इस लिस्ट में किसने शामिल किया है. साल 1999 में दुनिया की सबसे खूबसूरत धरोहरों को एक लिस्ट में शामिल करने के लिए स्विट्ज़रलैंड में Wonders of the World फाउंडेशन नामक एक संस्था को शुरू किया गया था. इस संस्था ने अपनी सूची में दुनिया की सबसे खूबसूरत 200 धरोहर को शामिल किया गया था.
इसके बाद सात अजूबो को चुनने के लिए पुरे विश्व में वोटिंग करायी गयी थी. वोटिंग फ़ोन और इंटरनेट के द्वारा करायी गयी थी जिसमे दुनियाभर के करीब 10 करोड़ लोगो ने हिस्सा लिया था और 2007 में इस सूची का परिणाम आया. जिसे आज हम दुनिया के सात अजूबो के नाम से जानते है.
दुनिया के सात अजूबे के नाम और जगह
Number | दुनिया(Country) | अजूबो के नाम | Kya Ajuba Hai |
1 | चीन | चीन की दीवार- (Great Wall of China) | दीवार की लम्बाई लगभग 6400 किलोमीटर |
2 | भारत | ताजमहल (Taj Mahal) | ऊंचाई 73 मीटर, सफ़ेद संगमरमर के पत्थर |
3 | जॉर्डन | पेट्रा (Petra) | बड़ी बड़ी चट्टानों और पत्थरों से तराशी गई इमारत |
1. चीन की दीवार- (Great Wall of China)

चीन की दीवार सात अजूबे में से एक अजूबा है. चीन में स्थित यह दीवार दुनिया की सबसे बड़ी दीवार है. इस दीवार को अंतरिक्ष से भी आसानी से भी देखा जा सकता है. इस दीवार की लम्बाई लगभग 6400 किलोमीटर है. यह दीवार तकरीबन 35 फ़ीट ऊँची है और चौड़ाई की बात करें तो इस दीवार पर 10 लोग एक साथ आसानी से चल सकते है.
इस दीवार का निर्माण कार्य 7वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी तक एक लम्बी अवधि में पूर्ण हुआ है. इस दीवार को बनाने के लिए 20 से 30 लाख लोगो ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था. ऐसा कहा जाता है की इस दीवार के बीच में जो खाली जगह है अगर इसको मिला दिया जाये तो इसकी लम्बाई 8848 किलोमीटर हो जाएगी.
इस दीवार को बनाने में मिट्टी, ईटों, लकड़ी और नुकीले पत्थरों का उपयोग किया गया है. इस दीवार को चीन के कई शासकों और राजाओं द्वारा हमलावरों से बचाने के लिए बनाया गया था. यह दीवार पूर्वी चीन से लेकर पश्चिमी चीन तक फैली हुई है.
2. ताजमहल (Taj Mahal)

भारत के आगरा शहर में स्थित ताजमहल भी दुनिया के सात अजूबे में से एक है. ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने 1632 में अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था. ताजमहल मुग़ल साम्राज्य की प्रमुख स्थापत्य उपलब्धियों में से एक है. इस ईमारत को बनाने में लगभग 16 वर्ष का समय लगा था. इसकी ऊंचाई 73 मीटर है. यह 17 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है.
इसे बनाने के लिए 20,000 से भी ज्यादा मजदूरों ने काम किया था. जिन मजदूरों ने इसे बनाया था शाहजहाँ ने उनके हाथ कटवा दिए थे ताकि वह ऐसी चीज दोबारा ना बना सके. इसके निर्माण के लिए शाहजहाँ ने पूरी दुनिया से सफ़ेद संगमरमर के पत्थर मंगवाए थे. ताजमहल को प्यार की निशानी भी कहा जाता है और इसे देखने के लिए दुनियाभर से लाखो पर्यटक आते है.
3. पेट्रा (Petra)

पेट्रा जॉर्डन के मआन प्रान्त में बसी एक ऐतिहासिक नगरी है जो बड़ी बड़ी चट्टानों और पत्थरों से तराशी गई इमारतों के लिए जानी जाती है. इस इमारत के पत्थर लाल रंग के है इसलिए इसे रोज सिटी के नाम से भी जाना जाता है. पेट्रा को यूनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर होने का दर्जा भी मिल चूका है. इसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था. इन्ही सारी खूबियों को देखते हुए इसे दुनिया के सात अजूबो में शामिल किया गया है.
4. क्राइस्ट रिडीमर (Christ Redeemer)

यह ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है. यह मूर्ति तिजूका फारेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाड़ो पर्वत की चोटी पर स्थित है. यह 130 फीट ऊँची है. इस मूर्ति को कंक्रीट के सोपस्टोन से बनाया गया है इसका निर्माण 1922 से 1932 के बीच किया गया था. इसकी चौड़ाई 98 फ़ीट है.
इस प्रतिमा का वजन 635 टन है. इस मूर्ति को बनाने में लगभग 2,50,000 डॉलर खर्च हुए थे. इस मूर्ति को ब्राज़ील के हेइटर दा सिल्वा कोस्टा द्वारा डिजाइन किया गया था और इसे फ्रेंच के महान मूर्तिकार लेनदोव्सकी के द्वारा बनाया गया था. यह मूर्ति दुनियाभर में ईसाई धर्म का बड़ा प्रतीक है.
5. माचू पिच्चू (Machu Picchu)

दुनिया के सात अजूबे में शामिल माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है. यह समुद्र तल से 2430 मीटर ऊंचाई पर स्थित है इतनी ऊंचाई पर बने पहाड़ी के ऊपर रहना और शहर को बनाना अपने आप में एक अजूबा ही है. इसे इंकाओं का खोया हुआ शहर के नाम से भी जाना जाता है.
इसका निर्माण 1400 के आसपास इंका सम्राज्य के राजा पचाकुटी ने करवाया था. हालांकि बाद में इस स्थान पर स्पेन ने विजय प्राप्त की थी और इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया था. जिसके बाद यहाँ की सभ्यता धीरे धीरे नष्ट गई.लेकिन 1911 में अमेरिका के इतिहासकार हिरम विघम ने इसकी खोज की थी और इस ऐतिहासिक स्थल दुनिया के सामने लाया था.
इसे लॉस्ट सिटी ऑफ़ द इन्का के नाम से भी जाना जाता है. इसे साल 2007 में वोटिंग द्वारा दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया था.
6. कोलोसियम (The Colosseum)

यह इटली देश के रोम शहर के मध्य निर्मित विशाल स्टेडियम है. इसका निर्माण सम्राट टाइटस द्वारा 80वीं सदी में करवाया गया था. इस स्टेडियम को रेट और कंक्रीट से बनाया गया है. इस स्टेडियम में लगभग 50 हजार से 80 हजार लोग एक साथ बैठ सकते है. यह विश्व की सबसे पुरानी वास्तुकलाओं में से एक है.
यहाँ प्राचीन काल मे पशुओं की लड़ाई, खेल कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे. यह 24 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. यह विश्व की सबसे पुरानी वास्तुकलाओं में से एक है. प्राकृतिक आपदा, भूकंप से ये थोड़ा बहुत ध्वस्त हुआ लेकिन आज भी इसकी विशालता वैसे ही है. इसके जैसी आकृति को बनाने की कोशिश कई इंजिनियरों द्वारा की गई थी लेकिन ये एक तरह की पहेली है, जिसे आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है.
7. चीचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)

चीचेन इट्ज़ा मक्सिको का प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मायन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण 600 ईसा पूर्व में किया गया था. यह ईमारत माया सभ्यता काल की गाथा गाती है. यह मंदिर पिरामिड की आकृति का है जिसकी ऊंचाई 79 फीट है यह 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.
इस मंदिर के सबसे ऊपर चढ़ने के लिए चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है. इस मंदिर के चारो दिशाओ में 90 सीढ़िया है और हर एक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतिक है और 365वां दिन ऊपर बना चबूतरा है. इसके अलावा इस जगह पर पिरामिड ऑफ़ कुकुल्कन, हज़ार स्तंभों के हॉल एवं कैदियों के खेल का मैदान है. यह सबसे बड़े मयान मंदिरों में से एक है.
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