सांपों के इस मौसम में सावधानी ही बचाव
सांप कोल्ड ब्लडेड होते हैं। जुलाई मौसम इनके बाहर आने के लिए मुफीद है। 22 से 32 डिग्री के बीच का तापमान इन्हें सूट करता है। मेंढक, चूहे आदि खाने के लिए ये बाहर निकलते हैं। जुलाई से सितंबर तक यह जंगल और आसपास आबादी में आसानी से नजर आते हैं। इसी बीच यह मिथ है कि सांपों की सुरक्षा के लिए नागपंचमी पर दूध पिलाने की परंपरा रही है। अक्तूबर माह में सांप बिल में चले जाते हैं।
सबसे घातक और जहरीले सांप
वैसे तो दुनिया भर में बहौत सारे साँप है। लेकिन क्या आप जानते हैं की भारत में ऐसे कौन से सांप हैं जो सबसे जहरीले होते हैं, और जिनके वार से आपको घातक नुक्सान हो सकता है, तो आइये जानते हैं , भारत में पाए जाने वाले 10 सबसे घातक और जहरीले सांप के बारे में।
1. भारतीय कोबरा
भारतीय कोबरा भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले परिवार एलापीडा के जीनस नाजा की एक बहुत ही विषैला साँप की प्रजाति है. ये भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, दक्षिणी नेपाल, बांग्लादेश, भूटान सहित कई देशों में पाया जाता जाता है. चूहे इसका मुख्य आहार है जिसके कारण यह मानव बस्तियों के आसपास, खेतों, मैदानी इलाकों, घने और खुले जंगलों में एवं शहरी इलाकों के बाहरी भागों में अधिक पाया जाता है.
भारतीय कोबरा एक मध्यम आकार का भारी शरीर वाला सांप है, जिसकी लंबाई 3 से 5 फिट 1 मीटर से 1. 5 तक हो सकती है. श्रीलंका ली कुछ प्रजातियां लगभग 2.1 मीटर से 2.2 मीटर तक हो जाती है लेकिन यह दुर्लभ है. भारतीय कोबरा का सिर आकर में अण्डाकार होता है. उसके पास बड़े नथुने के साथ एक छोटा और गोल थूथन होता है. आंखे गोल पुतलियों के साथ मध्यम आकार की होतो है.
भारतीय कोबरा को भारत में “नाग” के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय कोबरा सांप की भारत में पूजा की जाती है, भारत में हर साल लगभग हज़ारों लोग इनके काटने से मरे जाते है. भारतीय नाग में सिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन और कार्डिओटोक्सिन नामक घातक जहर में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन पाया जाता है इसका ज़हर शिकार के तंत्रिका तंत्र को पंगु बना देता है. शरीर को लकवा मार जाता है. इसके काटने से मुँह से झाग निकलने लगता है और आँखों की रोशनी धुंधली हो जाती है.
2. रसेल वाइपर
रसेल वाइपर एक विषैला पुराना वाइपर है जो पुरे एशिया में पाया जाता है. यह भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया में चीन और ताइवान के दक्षिणी हिस्सों में ज्यादा पाया जाता है. यह प्रजाति कई देशों भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया,चीन, ताइवान और इंडोनेशिया में पाई जाती है. रसेल वाइपर को कई अन्य आम नामों से भी जाना जाता है, जैसे डबोइया, चेन, इंडियन रसेल का वाइपर, कॉमन रसेल का वाइपर, चेन स्नेक, सात पेसर आदि.
रसेल वाइपर को भारत में ‘कोरिवाला’ के नाम से भी जाना जाता है. रसेल वाइपर की अधिकतम कुल लम्बाई 5.5 फिट (166 सेमी) है और औसत 4 फिट (120) होती है. रसेल वाइपर मैदानी इलाकों, सवाना, मोटेनें क्षेत्रों, घने जंगलों, घास या झाड़ी वाले क्षेत्रों में पाए जाते है. ये पुराने दीमक के टीले, चट्टान की दरारें, पत्तियो के ढेर में भी शरण लेते है. यह सीधे बच्चे देते है यह एक बार में 30 से 40 बच्चे देते है.
यह बेहद गुस्सैल सांप बिजली की तेजी से हमला करने में सक्षम है. इसका विष रक्त को जमा देता है. इसके काटने के स्थान पर दर्द, छाले और सूजन उल्टी, चक्कर आना, गुर्दे की विफलता सहित कई प्रकार के लक्षणों का अनुभव होता है. रसेल वाइपर मुख्य रूप से छोटे स्तनधारी, गिलहरी, भूमि केकड़े, बिच्छू, पक्षी, छिपकली, मेंढक आदि चीजों कहते है. इसके काटने की वजह से भारत में हर साल लगभग 25,000 लोगो की मौत हो जाती है.
3. इंडियन क्रेट
इंडियन क्रेट एक जहरीली प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है. इंडियन क्रेट, कॉमन क्रेट और ब्लू क्रेट के नाम भी जाना जाता है. सफ़ेद धारियों वाला यह सांप भारत, बांग्लादेश एवं दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाता है.इंडियन क्रेट के बारे में बताया जाता है की वह इतना जहर उगलता है कि इसके एक बार काटने से 60 लोगो की जान जा सकती है. इस सांप की 12 प्रजातियां है.
इंडियन क्रेट की औसत लम्बाई 0.9 मीटर (3.0 फिट) होती है, लेकिन यह 1.75 मीटर (5 फिट 9 इंच) एक बढ़ सकते है. यह आम तौर पर काले और नीले रंग का होता है. यह छोटे स्तनधारियों और कीड़ों, जैसे चूहे, मेढक, बिच्छू, छिपकली आदि को भी खाता है. क्रेट निशाचर है. इंडियन क्रेट के दांत बेहद बारीक़ होते है. क्रेट के जहर में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिनस होते है.
इसके काटने पर आमतौर पर व्यक्ति को पेट में गंभीर ऐंठन की शिकायत होती है. इंडियन क्रेट के काटने के बाद उपचार न मिलने पर लगभग चार से आठ घंटे में व्यक्ति की मौत हो जाती है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसके काटने से लगभग तक़रीबन 10,000 लोगो की मृत्यु हो जाती है.
4. किंग कोबरा
किंग कोबरा दक्षिण एशिया एयर दक्षिणी-पूर्वी एशिया (भारत, बांग्लादेश,मलेशिया, इंडोनेशिया आदि) में पाया जाता है. किंग कोबरा अपने आकार और जानलेवा डंक के लिए जाना जाता है. किंग कोबरा की लम्बाई 18 फिट (5.5 मीटर) तक होती है, ये सभी जेहरीले सापों में लम्बे होते है. इनका वजन 20 किलोग्राम तक पंहुचा सकता है.
खतरे की स्थिति में यह अपने फन को फैला लेता है ताकि वह खुद को बड़ा दिखा सके. यह अपने आप को जमीन से 6 फिट तक ऊंचा उठा लेता है. किंग कोबरा का जहर कटे गए जीव की तंत्रिका प्रणाली पर असर करता है. जिससे तुरंत बेहोशी, आँखों की रौशनी धुँधलाना और शरीर को लकवा मारना जैसे प्रभाव दिखते है. इसके एक दंश से लगभग दो छोटे चम्मच जहर जितना जहर अपने शिकार के शरीर में छोड़ता है. जो एक सामान्य व्यक्ति को 30 मिनट में मार सकता है.
किंग कोबरा के भोजन में मुख्यतः मेढक, छिपकली, टिड्डे, चूहे, पक्षी आदि शामिल होते है.किंग कोबरा के भोजन का मुख्य भाग दूसरे सांप ही होते है. जहाँ दूसरे सांप रात के समय अधिक सक्रीय होते है वही किंग कोबरा दिन के समय सक्रीय होते है. किंग कोबरा एक मात्र सांप है जो घोसला बनता है. किंग कोबरा उचाई में चढ़ने में माहिर होते है, ये तैरने में भी माहिर होते है.
5. सॉ-स्केल्ड वाइपर
सॉ-स्केल्ड वाइपर नाम अपेक्षाकृत छोटे सांप होते है हो 12-20 इंच की लम्बाई के साथ व्यस्को और जन्म के समय 3 इंच तक बढ़ते है. भारत में पाए जाने वाले चार बड़े विषैले सापों में से एक है. ये अफ्रीका मध्य पूर्व पाकिस्तान, भारत और श्रीलंका के शुष्क क्षेत्रों में पाए जाने वाले विषैला वाइपर के एक जीन्स है.
भारत में यह सांप महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और पंजाब के चट्टानी क्षेत्रों में पाए जाते है. ये सांप चट्टानों के निचे, पेड़ की छाल के नीचे या कटीली झाड़ी में रहते है.सॉ-स्केल्ड वाइपर पक्षी, सांप, छिपकली, उभयचर, बिच्छू और कीड़ो आदि को कहते है.
अपनी गुस्सैल, चिड़चिड़ी और अत्यंत आक्रामक प्रवृति और इसकी घातक जहर शक्ति इसे बहुत खतरनाक बना देती है. इसका जहर इतना खतरनाक होता है की इसके काटने से इंसान की आधे घंटे में ही मौत हो जाती है. इसके काटते ही खून और ब्लडप्रेशर में तेजी से गिरने लगता है. भारत में सालाना लगभग 5,000 मौतों सॉ-स्केल्ड वाइपर के काटने से हो जाती है.
6. इंडियन पिट वाइपर
इंडियन पिट वाइपर को भारत में “बम्बू वाइपर” या ट्री वाइपर के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत के दक्षिणी भाग में पाया जाता है. ये सांप आमतौर पर चमकीले हरे रंग के होते है. ये आम टूर पर बांस के गड्ढे वाइपर आमतौर पर धाराओं के पास बांस के पेड़ो और जंगलों में रहते है. ये सूखे गड्ढे वन में भी पाए जाते है. इंडियन पिट वाइपर ज्यादातर भारत के पश्चिमी घाट पर पायी जाती है.
ये छोटे पक्षियों, मेंढको और छिपकलियों आदि को कहते है. मादा पिट वाइपर 6 से 11 बच्चे जन्म देते है, जिनकी लम्बाई 4.5 (110 मिमी) तक होती है. सांप पूरी तरह से विकसित पैदा होते है उन्हें खुद की देखभाल करनी होती है.
7. मालाबार पिट वाइपर
मालाबार पिट वाइपर जिसे रॉक वाइपर के नाम से भी जाना जाता है. यह दक्षिण पश्चिमी भारत में धाराओं के पास चट्टानों और पेड़ो पर पाए जाते है. ये सबसे कुसल विषैले सांप है, इसका जहर मुख्य रूप से शिकार के रक्त और मांसपेशियों पर असर करता है. ये घने जंगलो में रहते है, मुख्यतः पेड़ों पर. पिट वाइपर एक धीमी गति से चलने वाला सांप और निशाचर है. ये सुरक्षा के लिए छलावरण पर भरोषा करता है.
मालाबार पिट वाइपर के भोजन में कृंतक, छिपकली, पक्षी और मेंढक जैसे छोटे स्तनधारी का शिकार करते है. मादा 4 से 5 बच्चों को जन्म देती है, इस सांप की खासियत भी है क्योकि अन्य सांप अंडे देते है. अंडे माँ के शरीर के अंदर विकसित होते है, जो पारदर्शी बैग से घिरे होते है, जिन्हे झिल्ली कहा जाता है. मालाबार पिट वाइपर निशाचर है और आमतौर पर दिन में निष्क्रय होता है.
8. बांडेड करैत
बांडेड करैत को धारीदार करैत के नाम से भी जाना जाता है. बांडेड करैत की पहचान इसके वैकल्पिक और पीले क्रॉस्बेंड्स, इसके त्रिकोणीय बॉडी क्रॉस सेक्शन से होती है. सबसे लंबे बांडेड करैत मापा गया जो 2.25 मीटर (7 फीट 5 इंच) का था. लेकिन आमतौर पर सामने आई लम्बाई 1.8 मीटर (5 फिट 11 इंच) है. यह सांप भारत, बांग्लादेश और दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाता है.
यह जंगलों से लेकर कृषि भूमि, आवासों में बंधे क्रेट, दीमक के टीलों और पानी के पास पाए जाते है. यह अक्सर मानव बस्ती के पास रहते है. इसके जहर का प्रभावों में उल्टी, पेट में दर्द, दस्त और चक्कर आना शामिल है. गंभीर स्थिति में श्वसन में विफलता हो सकती है और डैम घुटने से मृत्यु हो सकती है.
यह छोटे कीड़े मकोड़े और दूसरे छोटे जीवों का शिकार करता है. इसके आलावा यह विषहीन सांपो का भक्षण करके उनकी संख्या को नियंत्रित रखते हुए जैव विविधता में महत्पूर्ण योगदान देते है.
9. बाँस पिट वाइपर
बाँस पिट वाइपर एक विषैला पिट वाइपर प्रजाति का सांप है जो केवल दक्षिण भारत में पाया जाता है. इसके ऊपरी हिस्से आमतौर पर चमकीले हरे रंग, हलके पीले, भूरे और बैंगनी रंग के होते है. यह 3.25 फिट (0.99 मीटर) की लम्बाई तक बढ़ सकता है. पूंछ की लंबाई 5.5 इंच (14 सेमी) होती है. इसे बांस पिट वाइपर, भारतीय ट्री वाइपर, बांस सांप, भारतीय हरा पेड़ वाइपर, ग्रीन ट्री वाइपर और बाँस वाइपर के नाम से भी जाना जाता है.
यह बांस के पेड़ों, जंगलों और नदियों के पास पाए जाते है. यह छिपकली, मेंढक, पक्षियों आदि का भोजन करते है. मादा बांस पिट वाइपर 6 से 11 बच्चे जो जन्म देती है, जिनकी लंबाई 4.5 (110 मिमी) तक होती है. सांप पूरी तरह से विकसित पैदा होते है और उन्हें खुद की देखभाल करनी होती है.
सबसे घातक और जहरीले सांप कौन सा है?
सबसे ज्यादा बिषैला सांप भारतीय कोबरा है जिसके डसने से आधे घंटे में लोगो की मौत हो जाती है
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