जब कभी भी कहानियों का जिक्र होता है तब बच्चो का भी जिक्र जरुर किया जाता है, ऐसा इसलिए क्यूंकि कहानियाँ मुख्य रूप से बच्चों को ही सबसे ज्यादा पसदं होती है। इन कहानियो से हमें प्रेरणा मिलती है और साथ ही जीवन को सही तरीके से जीने का सिख मिलती है।
1. चींटी और हाथी की कहानी : Short Story
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बार एक घमंडी हाथी था जो हमेशा छोटे जानवरों को धमकाता था और उनका जीवन कष्टदायक बनाता था। इसलिए सभी छोटे जानवर उससे परेशान थे। एक बार की बात है वह अपने घर के पास के एंथिल (चींटी की मांद) में गया और चींटियों पर पानी छिड़का।
ऐसा होने पर वो सभी चींटियाँ अपने आकार को लेकर रोने लगीं। क्यूँकि वो हाथी इनकी तुलना में काफ़ी बड़ा था और इसलिए वो कुछ नहीं कर सकती थीं।
हाथी बस हँसा और चींटियों को धमकी दी कि वह उन्हें कुचल कर मार डालेगा। ऐसे में चींटियाँ वहाँ से चुपचाप चली गयी। फिर एक दिन, चींटियों ने एक सभा बुलायी और उन्होंने हाथी को सबक सिखाने का फैसला किया। अपनी योजना के मुताबिक़ जब हाथी उनके पास आया तब वे सीधे हाथी की सूंड में जा घुसे और उसे काटने लगे।
इससे हाथी केवल दर्द में कराह सकता था। क्यूँकि चींटियाँ इतनी छोटी थी कि उनका यह हाथी कुछ नहीं कर सकता था। साथ में उसके शूँड के अंदर होने के वजह से वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चींटियों और उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिन्हें उसने धमकाया था।
उसकी ये पीड़ा देखकर चींटियों को भी दया आयी और उन्होंने उसे छोड़ दिया।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की विनम्र बनो और सभी के साथ दया का व्यवहार करो। अगर आपको लगता है कि आप दूसरों से ज्यादा मजबूत हैं, तो अपनी ताकत का इस्तेमाल उन्हें नुकसान पहुंचाने के बजाय उनकी रक्षा के लिए करना चाहिए।
2. कुत्ता और हड्डी की कहानी: Short Story
बहुत समय पहले की बात है, एक बार एक कुत्ता था जो खाने की तलाश में रात-दिन सड़कों पर घूमता रहता था।
एक दिन, उसे एक बड़ी रसीली हड्डी मिली और उसने तुरंत उसे अपने मुंह के बीच में पकड़ लिया और घर की ओर ले गया। घर के रास्ते में, उसने एक नदी पार करनी पड़ी। वहाँ उसने गौर किया की एक और कुत्ता ठीक उसी के तरफ़ ही देख रहा था, वहीं जिसके मुंह में भी एक हड्डी थी।
इससे इस कुत्ते के मन में लालच उत्पन्न हुई और वह उस हड्डी को अपने लिए चाहने लगा। लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, जिस हड्डी को वह काट रहा था, वह नदी में गिर गई और डूब गई। ऐसा इसलिए हुआ क्यूँकि वो दूसरा कुत्ता और कोई नहीं बल्कि उसकी ही परछायी थी, जो की उसे पानी में दिख रहा था। अब जब की उसके मुँह की हड्डी गिर चुकी थी पानी में इसलिए उस रात वह भूखा ही रहा और अपने घर चला गया।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की अगर हम हमेशा दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, तो हम लालची कुत्ते की तरह सबक़ सीखना पड़ेगा, वहीं जो हमारे पास पहले से है हम उसे भी खो देंगे।
3. शेर और चूहे की कहानी: Short Story
एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा अपने मनोरंजन के लिए. इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया.
वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा. चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया.
कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया. वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया. ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका. ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा.
उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी. वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है. जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वो तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा और जिससे शेर कुछ देर में आजाद भी हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी. बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की और चले गए.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है – इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की उदार मन से किया गया कार्य हमेशा फल देता है.
4. झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी: Short Story
बहुत समय पहले की बात है एक बार, एक गाँव में एक लड़का रहा करता था जो की पास की पहाड़ी पर चरते गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। अपना मनोरंजन करने के लिए, उसने चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”
जब गाँव वालों ने उसकी चीख सुनी, तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए। लेकिन, जब वे पहुंचे, तो उन्होंने कोई भेड़िया नहीं देखा। उनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर लड़का खुश हो गया। उसे यह देखकर मज़ा आया।
सभी गाँव वालों ने उस लड़के को चेतावनी दी की “भेड़िया भेड़िया चिल्लाओ मत, लड़का,”, “जब कोई भेड़िया नहीं है!” इसके बाद वे सभी गुस्से में वापस पहाड़ी से चले गए।
अपने मनोरंजन के लिए, बाद में एक बार फिर से, चरवाहा लड़का फिर चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”, उसने देखा कि ग्रामीण भेड़िये को डराने के लिए पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं। यह देख उसे फिर से आनंद आने लगा।
जब उन्होंने देखा कि कोई भेड़िया नहीं है, तो उन्होंने सख्ती से उस लड़के को कहा, की जब कोई भेड़िया नहीं है तब उसे उन्हें नहीं बुलाना चाहिए। केवल भेड़िया के आने पर ही उन्हें उसे पुकारना चाहिए। जब वो गाँव वाले पहाड़ी के नीचे जा रहे थे, तब वो लड़का मन ही मन मुस्कुराया।
बाद में, लड़के ने एक असली भेड़िये को अपने झुंड के तरफ़ आते देखा। घबराए हुए, वह अपने पैरों पर कूद गया और जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” लेकिन गाँव वालों ने अब की बार सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।
सूर्यास्त के समय, ग्रामीण उस लड़के की तलाश में गए जो अपनी भेड़ों के साथ नहीं लौटा था। जब वे पहाड़ी पर गए, तो उन्होंने उसे रोते हुए पाया।
“यहाँ वास्तव में एक भेड़िया था! झुंड चला गया! मैं चिल्लाया, ‘भेड़िया!’ लेकिन तुम नहीं आए,” वह चिल्लाया, यह सब वो रोते हुए कहा।
अब एक बूढ़ा आदमी लड़के को सांत्वना देने गया। जैसे ही उसने उसके पीठ पर अपना हाथ रखा, उसने कहा, “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच कह रहा हो!” अब उस लड़के को अपनी गलती का पछतावा हुआ।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है – इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की झूठ से विश्वास टूट जाता है – भले ही आप सच कह रहे हों, कोई भी झूठ पर विश्वास नहीं करता है। इसलिए हमेशा सच बोलना चाहिए।
5. मूर्ख गधा की कहानी
एक नमक बेचने वाला रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था।
रास्ते में उन्हें एक नदी पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते वक्त, गधा अचानक नदी में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। चूँकि नमक से भरा थैला पानी में घुल गया और इसलिए थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया।
इसकी वजह से गधा बहुत ही खुश था। अब फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा, इससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता।
नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सिखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक रुई से भरा थैला लाद दिया।
अब गधे ने फिर से वही चाल चली। उसे उम्मीद थी कि रुई का थैला अभी भी हल्का हो जाएगा।
लेकिन गीला रुई (कपास) ले जाने के लिए बहुत भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उसने इससे एक सबक सीखा। उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली और नमक बेचने वाला खुश था।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है – इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की भाग्य हमेशा साथ नहीं देता है, हमेशा हमें अपने बुद्धि का भी इस्तमाल करना चाहिए।।
गरीब लकड़हारा की कहानी
एक बार की बात है, एक गरीब लकड़हारा अपने सात बच्चों के साथ रहता था। वह इतना गरीब था कि अपने बच्चों को ठीक से खाना भी नहीं दे पाता था। इसी को देखते हुए उसने अपने बच्चों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया।
लकड़हारा के छोटे बच्चे ने उसकी ये बात सुन ली। उसने बहुत सारे सफ़ेद पत्थर(stone) अपनी जेब में भर लिए। अगले दिन जब वे जंगल में जा रहा था तो वह रास्ते में पत्थर गिराता रहा। उनके पिता जंगल में बच्चों को छोड़कर वापिस चले गए। छोटा बच्चा उन पथरो की मदद से अपने भाई-बहनों को घर ले आया। अगली बार वह बच्चा पत्थर नहीं बटोर पाया इसलिए उसने रास्ते में रोटी के टुकड़े फांके जिन्हे चिड़िया और जानवर खा गए। बच्चे इस बार घर का रास्ता नहीं ढूंढ पाए और वे रोने लगे।
घर में जब बच्चों के पिता को अपनी गलती का अहसास हुआ, तो वह जंगल में अपने बच्चों को ढूंढ़ने निकल गए। अपने पिता को सामने देखकर बच्चे भाग कर उनके पास गए। पिता ने उनसे वादा किया कि आगे से वह ऐसा कभी नहीं करेंगे। बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी अपने पिता के साथ घर की ओर चल पड़े।
गुब्बारे की यात्रा
एक छोटे से गाँव में राहुल नाम का लड़का रहता था। उसके पास एक रंग-बिरंगे गुब्बारे थे। एक दिन, वह अपने सबसे पसंदीदा गुब्बारे को उड़ाने मैदान में निकला।
और राहुल ने गुब्बारे को ऊँचाई पर उड़ाने की कोसिस करने लगा , परंतु गुब्बारा ज्यादा ऊंचाई पैर नहीं उड़ पा रहा था। और वह बहुत दुखी हो गया, लेकिन गुब्बारा नहीं उड़ रहा था।
तभी एक बूढ़ा आदमी आकर राहुल से बोला, “बेटा, गुब्बारा उड़ाने के लिए उसमे थोड़ा और हवा भरनी पड़ेगी।”
राहुल ने बूढ़े की बात सुनकर गुब्बारे को और ज्यादा हवा भरकर उड़ाने का प्रयास करने लगा तभी यह बारी गुब्बारा बहुत ही जायदा ऊँचाई पर उड़ने लगा और राहुल ने खुशी से झूमने लगा। उसके बाद राहुल अपने घर आ गया
इस कहानी का संदेश है कि हमें कभी-कभी अपनी कोशिशों में और मेहनत में और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है ताकि हमारी सफलता हमारी कोशिस का परिणाम हो सके।
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